Marcus Trescothick आखिर क्यों इस बेहतरीन क्रिकेटर को दुर्भाग्यशाली क्रिकेटर भी माना जाता था।  

Marcus Trescothick:  आज हम बात कर रहे है उस अंग्रेज खिलाड़ी की, जिसके शतक से उसी के देश के लोग डरते थे। दरअसल जब भी यह खिलाड़ी सेंचुरी (Century) बनाता था, तो 50 फीसदी मैच उसकी टीम हार जाती थी। वर्ल्ड क्रिकेट में तमाम ऐसे क्रिकेटर आए और अपनी शानदार बल्लेबाजी या गेंदबाजी से सबके दिलों में बस गए। फिर अचानक ही ना जाने क्या हुआ कि वे परिदृश्य से ओझल हो गए।

आज जब ग्लेन मैक्सवेल (Glen Maxwell) जैसे खिलाड़ी मेंटल हेल्थ के लिए ब्रेक लेते हैं, तब उसे नॉर्मल कहा जाता है। पहले के जमाने में ऐसा नहीं था। ऐसे ही इंग्लैंड (England) के एक शानदार अक्रामक बल्लेबाज मार्कस ट्रेस्कोथिक भी थे, जो अपनी अक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते थे। मार्कस ट्रेस्कोथिक इंग्लैंड के लिए ओपनिंग किया करते थे। वह बांए हाथ के खतरनाक बल्लेबाज थे।

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Marcus Trescothick का क्रिकेट करिअर

यह बात उस दौर की है, जब ऑस्ट्रेलिया (Australia) के लिए एडम गिलक्रिस्ट (Adam Gilchrist) तूफान उठाते थे। मार्कस ट्रेस्कोथिक ने साल 2000 से 2006 तक इंग्लैंड के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेला था। ट्रेस्कोथिक ने 76 टेस्ट मैचों में 43.8 की औसत से 5825 रन बनाए थे, जिसमें 14 शतक और 29 अर्द्धशतक शामिल थे। टेस्ट क्रिकेट में ट्रेस्कोथिक का उच्चतम स्कोर 219 रनों का रहा था।

ODI में ट्रेस्कोथिक ने 123 वनडे मैचों में लगभग 37 की औसत से 4335 रन बनाए, जिसमें 12 शतक और 21 अर्द्धशतक शामिल हैं। वनडे में ट्रेस्कोथिक का उच्चतम स्कोर 137 रनों का रहा। ट्रेस्कोथिक ने 3 T-20I 55 की औसत से 166 रन बनाए, जिसमें 72 रन उनका उच्चतम स्कोर रहा।

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Marcus Trescothick दुर्भाग्यशाली क्रिकेटर

Marcus Trescothick

Marcus Trescothick इस वजह से भी याद किए जाते हैं क्योंकि उनको बेहद दुर्भाग्यशाली क्रिकेटर भी माना जा सकता है। ट्रेस्कोथिक ने अपने पूरे वनडे करियर में कुल 12 शतक लगाए, जिनमें से 6 मैचों में इंग्लैंड की हार हुई थी। उस समय ऐसा कहा जाता था कि अगर ट्रेस्कोथिक ने शतक लगाया है, तो इंग्लैंड के हारने के चांस बहुत अधिक हैं। ट्रेस्कोथिक अपनी तरफ से बहुत बेहतरीन प्रदर्शन करते थे, लेकिन ना जाने क्यों वह जब भी शतक लगाते थे तब इंग्लैंड के हारने के चांस 50% हो जाते थे।

साल 2006 के फरवरी महीने में भारत (IND) दौरे के दौरान वह सबकुछ घटित हुआ, जिसके बाद ट्रेस्कोथिक ने लाख कोशिशें की लेकिन वह दोबारा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नही खेल सके। दरअसल इंग्लैंड की टीम वर्ष 2006 में भारत दौरे पर थी।

Marcus Trescothick डिप्रेशन के शिकार

Marcus Trescothick
Marcus Trescothick

इसी बीच Marcus Trescothick को चिन्ता, अवसाद और तनाव ने एक साथ जकड़ लिया। अपनी किताब में भी ट्रेस्कोथिक ने जिक्र किया है कि वह उस समय बेहद डरे हुए थे। इस बीच भारत दौरे को बीच में ही छोड़कर वह इंग्लैंड वापस चले गये। 2006 में भारत दौरे के बाद ट्रेस्कोथिक को अहसास हुआ कि वे मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं। इसके बाद उन्होंने सुधार की काफी कोशिश की और वापसी करने में लगे रहे लेकिन डिप्रेशन और थकान की वजह से नहीं कर पाए और एक अच्छे करियर को विराम लगा गए।

एक बेहतरीन बल्लेबाज जो अपने करियर के पीक पर था, उसे अवसाद ने इस तरह जकड़ा कि मजबूरन उसे अपना अंतर्राष्ट्रीय कैरियर ही असमय समाप्त करना पड़ा। चिंता और अवसाद कितना भयावह हो सकता है, यह कोई ट्रेस्कोथिक के जीवन से सीख सकता है।

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