Sudeep Kumar Gharami, Biography in Hindi, Domestic Career, IPL, Wife, Net Worth, नैहाटी से उभरता हुआ 1 अनमोल सितारा, बेटे को Best क्रिकेटर बनाने के लिए पिता ने पैसे लिए उधार

Sudeep Kumar Gharami एक भारतीय क्रिकेटर हैं। उन्होंने 9 मार्च 2020 को बंगाल के लिए 2019-20 रणजी ट्रॉफी के फाइनल में प्रथम श्रेणी में पदार्पण किया। इनका पूरा नाम सुदीप कुमार घरामी है इनका जन्म 21 मार्च, 1999 को उत्तर परगना, बंगाल मे हुआ। अभी इनकी आयु करीब 26 वर्ष की है इनकी बल्लेबाजी शैली दाहिने हाथ के बल्लेबाज की है और इनकी गेंदबाजी शैली दाहिने हाथ के ऑफब्रेक गेंदबाज की है।

साल 2020 में यानी जब तक फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनका डेब्यू नहीं हो गया तब तक सुदीप मिट्टी के घर में ही रह रहे थे. घर के आर्थिक हालात चरमराए थे. पिता एक राजमिस्त्री थे और मां गृहणी, ऐसे में उनके लिए क्रिकेटर बनने का सपना कभी आसान नहीं रहा।

एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया, ” मेरा सपना छोटी उम्र से क्रिकेटर बनने का था. मेरे पिता भी मुझे क्रिकेटर बनाना चाहते हैं. लेकिन हमारे पास पर्याप्त पैसा नहीं था. पिता चूंकि राजमिस्त्री थे, इसलिए आमदनी बेहद कम थी. लेकिन मेरे क्रिकेटर बनने के सपने को पंख देने के लिए उन्होंने लोगों से पैसे उधार लिए थे.”

Sudeep Kumar Gharami की टीमें

बंगाल

बंगाल अंडर-16

बंगाल अंडर-19

शेष भारत

Sudeep Kumar Gharami के बल्लेबाजी करियर आँकड़े

प्रारूपमैचपारीनॉटरनबेस्टऔसतगेंदस्ट्राइकशतकफिफ्टीचौकेछक्के
FC30515171418637.26347449.335722115
सूची A2121497416257.29111487.43439116
T20s222045006831.25403124.06034213

Sudeep Kumar Gharami के हाल के मैच

बंगाल बनाम पंजाब 14 30-जनवरी-2025 ईडन गार्डन्स एफसी

बंगाल बनाम हरियाणा 20 और 0 23-जनवरी-2025 कल्याणी एफसी

बंगाल बनाम हरियाणा 36 09-जनवरी-2025 वडोदरा सूची ए

बंगाल बनाम एम. प्रदेश 99 05-जनवरी-2025 हैदराबाद सूची ए

बंगाल बनाम बिहार 107* 03-जनवरी-2025 हैदराबाद सूची ए

Sudeep Kumar Gharami का डेब्यू/आखिरी मैच

एफसी मैच

डेब्यू

सौराष्ट्र बनाम बंगाल, राजकोट – 09 मार्च – 13, 2020

आखिरी

पंजाब बनाम बंगाल, ईडन गार्डन – 30 जनवरी – 01 फरवरी, 2025

लिस्ट ए मैच

डेब्यू

मिजोरम बनाम बंगाल, रांची – 13 नवंबर, 2022

आखिरी

हरियाणा बनाम बंगाल, वडोदरा – 09 जनवरी, 2025

टी20 मैच

डेब्यू

ओडिशा बनाम बंगाल, लखनऊ – 14 अक्टूबर, 2022

आखिरी

बड़ौदा बनाम बंगाल, बेंगलुरु – 11 दिसंबर, 2024

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Sudeep Kumar Gharami की प्रोफाइल

रणजी फाइनल में पदार्पण करने वाले बंगाल के बल्लेबाज घरामी ने अपने राज्य के लिए अंडर-23 जीत से अर्जित धन से एक मकान बनवाया।

Sudeep Kumar Gharami के माता-पिता रणजी ट्रॉफी फाइनल के पहले दिन कोलकाता से 44 किलोमीटर दूर नैहाटी में अपने नए बने घर में चले गए। वे पहले बांस से सुरक्षित मिट्टी की झोपड़ी में रहते थे। संयोग से, 1990 में सौरव गांगुली की तरह इस युवा खिलाड़ी ने राजकोट के खंडेरी स्टेडियम में सौराष्ट्र के खिलाफ खिताबी मुकाबले में बंगाल के लिए पदार्पण किया।

2019 में अंडर-23 टूर्नामेंट जीतने के बाद उन्होंने जो पैसे कमाए, उससे उन्होंने प्रॉपर्टी बनवाई। उनके पिता राजमिस्त्री हैं और मां गृहिणी हैं। और दंपत्ति ने गृह प्रवेश और घरामी के डेब्यू का जश्न एक ही समय पर मनाया। घरामी ने बताया, “हमारे पास पहले एक कच्चा घर था, जो बांस से बना था। मैंने अंडर-23 टूर्नामेंट से जो भी पैसे कमाए, वे मैंने अपने माता-पिता को दे दिए। “

20 वर्षीय बल्लेबाज उपनगरों से उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो क्रिकेट कोचिंग के लिए रोजाना कोलकाता आते हैं। उनमें से कुछ अंततः कोलकाता चले जाते हैं। वास्तव में, फाइनल खेलने वाली पूरी बंगाल इलेवन का जन्म शहर के बाहर हुआ है।

अंडर-23 वर्ग सीनियर टीम के लिए नई आपूर्ति लाइन है। तेज गेंदबाज आकाश दीप और ईशान पोरेल, विकेटकीपर-बल्लेबाज अग्निव पान, धीमी गति के बाएं हाथ के गेंदबाज प्रदीप्त प्रमाणिक और बल्लेबाज काजी जुनैद सैफी कुछ बेहतरीन संभावनाएं हैं।

Sudeep Kumar Gharami की शुरुआत आसान नहीं थी। दाएं हाथ के इस खिलाड़ी ने बताया, “मैं नैहाटी में पैदा हुआ था और मैं छोटी उम्र से ही क्रिकेटर बनना चाहता था। हमारे पास पर्याप्त पैसे नहीं थे। मेरे पिता कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम में राज मिस्त्री के तौर पर काम करते थे। लेकिन वह वाकई मुझे क्रिकेटर बनाना चाहते थे। वह लोगों से पैसे उधार लेकर मुझे वह सब कुछ देते थे जिसकी मुझे जरूरत थी। किट और कोचिंग की फीस।”

नेट पर पसीना बहाने की वजह से वह फाइनल में कोच अरुण लाल के लिए सरप्राइज पैकेज साबित हुए, नियमित खिलाड़ी श्रीवत्स गोस्वामी और अभिषेक रमन से आगे। वह केवल 26 रन ही बना पाए, लेकिन उन्होंने जो चार चौके लगाए – दो जयदेव उनादकट के खिलाफ, जो इस सीजन में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ रहे – उनमें ‘क्लास’ लिखा हुआ था।

नैहाटी में कोच देवेश चक्रवर्ती से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले घरामी कहते हैं, “मुझे पता ही नहीं था कि मुझे फाइनल के लिए चुना गया है। मैं उस समय एफसीआई के लिए टी20 मैच खेल रहा था। मैं थोड़ा नर्वस था। पहली गेंद खेलने के बाद मैं आश्वस्त हो गया।”

जूनियर क्रिकेट में आगे बढ़ने के बावजूद उन्हें दबाव या मानसिकता की चिंता नहीं है। सचिन तेंदुलकर को अपना आदर्श मानने वाले Sudeep Kumar Gharami कहते हैं, “मुझे इसकी आदत है। हमने अंडर-23 स्तर पर बहुत ही कठिन परिस्थितियों में खेला है। मैंने ऐसे मैच खेले हैं, जिनमें हमें दो दिन तक फील्डिंग करनी पड़ी थी।” “पहले मैं उनकी तरह खेलने की कोशिश करता था, लेकिन फिर मेरे कोच ने मुझे कुछ बदलाव करने के लिए कहा।”

बंगाल क्रिकेट संघ के पूर्व अध्यक्ष सौरव गांगुली, जो अब बीसीसीआई के अध्यक्ष हैं, ने घरामी की बल्लेबाजी देखने के बाद बंगाल अंडर-23 कोच सौराशीष लाहिड़ी को बुलाया था।

घरामी याद करते हैं, “मैंने उनसे [गांगुली से] एक बार ईडन गार्डन्स में मुंबई के खिलाफ अंडर-23 मैच के दौरान बातचीत की थी। मैं 66 रन पर आउट हो गया था और उन्होंने मुझसे कहा था, ‘तुम ऐसी विकेट पर इतनी अच्छी बल्लेबाजी कर रहे थे, जहां कोई टिक नहीं सकता था। तुमने अपना विकेट क्यों गंवा दिया? तुम 100 रन बना सकते थे।”

बंगाल के पूर्व क्रिकेटर लाहिड़ी ने घरामी को ‘कठोर व्यक्ति’ करार दिया।

लाहिड़ी कहते हैं, “अंडर-23 टीम से खिलाड़ियों को लाना हमारी योजना का हिस्सा था। दादा[गांगुली] ने मुझे यह बताया था। यह एक महत्वपूर्ण आयु वर्ग था। हमें उन्हें अच्छे माहौल में रखना था ताकि वे अच्छा प्रदर्शन कर सकें।”

उन्होंने कहा, “मैं पिछले दो सालों से उनके साथ काम कर रहा हूं। अंडर-23 चैंपियनशिप में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा। वह एक बहुत अच्छे टीम मैन हैं, एक दृढ़ निश्चयी खिलाड़ी। उन्होंने जो दृष्टिकोण दिखाया वह शानदार था। मेरी राय में, इस समय वह सबसे अच्छे क्रिकेटर हैं। बेहतरीन फील्डर। वह एक ऑल-राउंड खिलाड़ी हैं।”

Sudeep Kumar Gharami अंडर-19 स्तर से अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और लाल लगातार उनकी प्रगति पर नज़र रखने के लिए लाहिड़ी के संपर्क में रहते हैं। अब जबकि बंगाल रणजी ट्रॉफी में उपविजेता रहा है, तो यह घरामी की ऑफ-सीजन ट्रेनिंग में और इज़ाफा करेगा।

“मैं अपनी खेल योजना पर थोड़ा और काम करना चाहता हूं।”अगले सत्र में और अधिक मेहनत करने के लिए उनके पास पर्याप्त समय है।

Sudeep Kumar Gharami ने मिट्टी के घर में रहकर सपने देखें ‘पक्के’

Sudeep Kumar Gharami
Sudeep Kumar Gharami

23 साल के बल्लेबाज Sudeep Kumar Gharami का बचपन मिट्टी के घर में कटा पर उन्होंने सपने एकदम पक्के देखे। सपने तो सच हो गए पर उसके पीछे का संघर्ष जिंदगी के एक अहम पाठ की तरह उनसे जुड़ गया।

रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) के नॉकआउट मुकाबले मे बंगाल की टीम का सामना क्वार्टर फाइनल में झारखंड से है. इस मैच में पहले बल्लेबाजी कर रही बंगाल के लिए ट्रिपल फीगर में स्कोर बनाने वाले एक बल्लेबाज की खोज सौरव गांगुली ने की है। मतलब ये कि जब से सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) की नजर उस पर पड़ी है, उसके लिए खेल और उसे लेकर तैयारियों के मायने बदल गए हैं।

हम बात कर रहे हैं 23 साल के बल्लेबाज Sudeep Kumar Gharami की, जिनका बचपन मिट्टी के घर में कटा पर उन्होंने सपने एकदम पक्के देखे. सपने तो सच हो गए पर उसके पीछे का संघर्ष जिंदगी के एक अहम पाठ की तरह उनसे जुड़ गया।

Sudeep Kumar Gharami के जीवन संघर्ष और सौरव गांगुली के उनके करियर में योगदान की बात करें उससे पहले आपको ये बता दें कि 23 साल के बंगाल के इस बल्लेबाज ने झारखंड के खिलाफ क्वार्टर फाइनल की पहली पारी में शतक जड़ा है. ये फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सुदीप के बल्ले से निकला पहला शतक है।

इससे पहले खेले 4 मैचों में उनके नाम सिर्फ 102 रन थे. यानी जितने रन उन्होंने करियर के शुरुआती 4 मुकाबलों में नहीं मारे, उतने अकेले एक उस अहम मैच में मार दिए जब टीम को सबसे ज्यादा जरूरत थी।

साल 2020 में यानी जब तक फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनका डेब्यू नहीं हो गया तब तक सुदीप मिट्टी के घर में ही रह रहे थे. घर के आर्थिक हालात चरमराए थे. पिता एक राजमिस्त्री थे और मां गृहणी, ऐसे में उनके लिए क्रिकेटर बनने का सपना कभी आसान नहीं रहा।

एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया, ” मेरा सपना छोटी उम्र से क्रिकेटर बनने का था. मेरे पिता भी मुझे क्रिकेटर बनाना चाहते हैं. लेकिन हमारे पास पर्याप्त पैसा नहीं था. पिता चूंकि राजमिस्त्री थे, इसलिए आमदनी बेहद कम थी. लेकिन मेरे क्रिकेटर बनने के सपने को पंख देने के लिए उन्होंने लोगों से पैसे उधार लिए थे.”

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Sudeep Kumar Gharami के करियर को दिशा देने में गांगुली का हाथ

बंगाल के लिए नॉकआउट मैच में शतक ठोकने वाले Sudeep Kumar Gharami आज जहां है, उन्हें वहां तक पहुंचाने में सौरव गांगुली की भूमिका भी अहम रही है. गांगुली ने उन्हें पहली बार अंडर 23 टूर्नामेंट में खेलते देखा था. इसके बाद उन्होंने पूरा ध्यान उनके खेल को निखारने पर लगाया।

ये भी एक संयोग ही है कि जिस तरह से गांगुली ने 1990 में अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू सीधे रणजी ट्रॉफी के फाइनल में उतरकर किया था, ठीक उसी तरह घरामी ने भी 2020 में सौराष्ट्र के खिलाफ खेले फाइनल में अपना डेब्यू किया था।

Sudeep Kumar Gharami ने रणजी ट्रॉफी मे लगाया शतक

बंगाल क्रिकेट टीम के युवा बल्लेबाज Sudeep Kumar Gharami ने रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल में मध्य प्रदेश के खिलाफ शतक लगाया है। उन्होंने 183 गेंदों में अपना शतक पूरा किया है जिसमें 10 चौके और दो छक्के शामिल रहे। यह इस सीजन का उनका दूसरा शतक है।

16वां फर्स्ट-क्लास मैच खेल रहे घरामी ने करियर का चौथा शतक लगाया है। घरेलू क्रिकेट में वह 1,500 से अधिक रन बना चुके हैं।

पहले बल्लेबाजी करते हुए बंगाल ने खबर लिखे जाने तक पहले दिन 275/2 का स्कोर बना लिया है। टीम ने 51 रनों पर ही दो विकेट गंवा दिए थे, लेकिन शानदार वापसी करते हुए खुद को मजबूत कर लिया है।

घरामी (100*) और अनुस्तुप मजूमदार (116*) क्रीज पर बने हुए हैं। दोनों के बीच तीसरे विकेट के लिए 382 गेंदों में 224 रनों की साझेदारी हो चुकी है।

Sudeep Kumar Gharami ने दादा की दया और खुद की मेहनत से बदल दी ज़िंदगी

Sudeep Kumar Gharami एक ऐसा नाम जो बहुत कम लोग जानते होंगे लेकिन जब आप इस लड़के की कहानी को जानेंगे तो आप भी इस खिलाड़ी को सलाम करेंगे।

रणजी ट्रॉफी 2022 के पहले क्वार्टरफाइनल में बंगाल का सामना झारखंड से हुआ जिसमे पहले दिन का खेल खत्म होने तक बंगाल की टीम ने मैच पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी और इसका श्रेय अगर किसी खिलाड़ी को जाता है तो उसका नाम है सुदीप कुमार घरामी। घरामी ने इस करो या मरो वाले मुकाबले में बंगाल के लिए शतक जड़कर उनको ड्राइविंग सीट पर पहुंचा दिया।

फिलहाल घरामी भी 204 गेंदों में 106 रन बनाकर नाबाद हैं और वो दूसरे दिन चाहेंगे कि इस शतक को एक बड़े स्कोर में तब्दील किया जाए। पहले दिन का खेल खत्म होने तक बंगाल ने 89 ओवर में 1 विकेट के नुकसान पर 310 रन बना लिए हैं। इस मैच में शतक लगाने के बाद एकदम से सुदीप कुमार घरामी लाइमलाइट में आ गए हैं और लोग इनके बारे में सर्च करना भी शुरू कर चुके हैं।

अगर आप भी घरामी के बारे में जानना चाहते हैं तो चलिए आपको उनकी कहानी बताते हैं। घरामी साल 2020 से पहले एक मिट्टी के घर में रहते थे और उनके घर की हालत भी काफी खराब थी। उनके पिता राजमिस्त्री का काम करते हैं जबकि उनकी माता जी गृहिणी हैं।

अगर आप घरामी को आज इस लेवेल पर खेलते हुए देख रहे हैं तो इसके पीछे बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली का बहुत बड़ा हाथ है। गांगुली ने उन्हें एक अंडर-23 टूर्नामेंट में खेलते हुए देखा था जिसके बाद उन्होंने इस खिलाड़ी को निखारने के लिए फास्टट्रैक करवाया।

इसके बाद संयोग से, जिस तरह 1990 में सौरव गांगुली ने रणजी ट्रॉफी के फाइनल में अपना डेब्यू किया था वैसे ही इस युवा खिलाड़ी ने भी साल 2020 के खिताबी मुकाबले में बंगाल के लिए खेलते हुए सौराष्ट्र के खिलाफ राजकोट के खंडेरी स्टेडियम में पदार्पण किया।

2019 में U-23 टूर्नामेंट जीतने के बाद उन्होंने जो पैसा कमाया, उससे उन्हें संपत्ति बनाने में मदद मिली। Sudeep Kumar Gharami ने अपनी कहानी बयां करते हुए खुद एक वेबसाइट को बताया, “मैं नैहाटी में पैदा हुआ था और मैं छोटी उम्र से ही क्रिकेटर बनना चाहता था। हमारे पास पर्याप्त पैसा नहीं था। मेरे पिता एक राज मिस्त्री के रूप में काम करते थे। लेकिन वो वास्तव में मुझे क्रिकेटर बनाना चाहते थे। मुझे वो सब कुछ देने के लिए जो मुझे चाहिए था, वो लोगों से पैसे उधार लेते थे।”

ज़ाहिर है कि एक मिट्टी के घर में रहने वाला युवा खिलाड़ी आज अगर बड़े लेवेल पर क्रिकेट खेल रहा है तो इसके पीछे उसकी कड़ी मेहनत का बहुत बड़ा हाथ है और साथ ही अगर दादा का साथ ना मिला होता तो शायद उन्हें यहां पहुंचने के लिए और लंबा इंतज़ार करना पड़ सकता था।

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