Rahul Dravid: एक बल्लेबाज जो क्रिकेट के भगवान से पहले बल्लेबाजी करने आता था,
एक बल्लेबाज जो 160 किलोमीटर/घण्टे से आ रही गेंद को अपने पैरों के पास ही रोक देता था,
एक बल्लेबाज जिसने 22 गज की पिच पर दुनिया के किसी भी बल्लेबाज की तुलना में सबसे अधिक वक्त गुज़ारा है,
एक बल्लेबाज जिसने लोगों में यह विश्वास भरा कि चाहे पूरी टीम ही क्यूँ न आउट हो जाए लेकिन ये बन्दा खड़ा रहेगा,
एक बल्लेबाज जिसे सही मायने में जेंटलमैन कहा जा सकता है,
एक बल्लेबाज जिसे मैदान पर कभी नाराज़गी जताते हुए नहीं देखा गया,
एक बल्लेबाज जिसने आईपीएल की कोचिंग को ठुकरा कर इंडिया-ए और इंडिया अण्डर-19 टीम का कोच बनकर भारतीय टीम की जड़ों को मजबूत करना बेहतर समझा,
एक बल्लेबाज जिसे वन डे में 10000 से अधिक रन बनाने के बावजूद कभी छोटे फॉर्मेट का खिलाड़ी नहीं माना गया,
एक बल्लेबाज जिसके नाम का स्टैंड नहीं बल्कि चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर एक दीवार है जिस पर लिखे तीन शब्द उन्हें पूर्णतः परिभाषित करते हैं वो शब्द हैं कमिटमेंट, क्लास और कंसिसटेंसी।
किसी भी खिलाड़ी के लिए या आम जीवन में भी ये तीन शब्द आपको सफलता के एक नए सोपान पर ले जा सकते हैं,
एक बल्लेबाज जिसके बारे में क्रिस गेल ने कहा था कि ये खिलाड़ी मेरी तरह आक्रामक पारी तो खेल सकता है लेकिन मैं इसकी तरह बिल्कुल भी नहीं,
एक बल्लेबाज जिसे बहुत कुछ मिलना चाहिए और उसे कुछ नहीं मिला,
एक बल्लेबाज जिसने टीम की परिस्थिति को देखकर हर तरह की भूमिका स्वीकार की..
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