Exclusive Interview: यशस्वी की 1 मानसिकता है कि उसे गेंदबाज पर दबाव बनाना है- ज्वाला सिंह

Exclusive Interview:  इंग्लैंड (England) के विरुद्ध टेस्ट सीरीज (Test Series) में प्लेयर ऑफ द सीरीज (Player Of The Series) चुने गए यशस्वी जायसवाल (Yashasvi Jaiswal) के बचपन के कोच ज्वाला सिंह (Jwala Singh) का कहना है कि उनका शिष्य मानसिक मजबूती में कई खिलाड़ियों से अलग है। अगर यशस्वी आईपीएल (IPL) में बल्ले से रन बनाता है तो उन्हें टी-20 विश्व कप (T20 World Cup) में रोहित (Rohit) के साथ ओपनिंग करनी चाहिए।

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Exclusive Interview: सवाल- इंग्लैंड के विरुद्ध यशस्वी की बल्लेबाजी को आप कैसे देखते हैं?

जवाब- यशस्वी ने अपनी जो क्षमता विकसित की है और जो उसकी मानसिकता है कि उसे गेंदबाज पर दबाव बनाना है। जब मैच नहीं होते थे तो हमने कई शाट्स पर काम किया। कट शाट, पुल शाट, ओवर द कवल, ओवर द बालर हेड, फ्लिक पर छक्का मारना। आजकल के क्रिकेट में डोमिनेटिंग अप्रोच करना बहुत जरूरी है। ये जो बैजबाल हम बोल रहे हैं, उसने इसे बहुत अच्छे तरीके से इस्तेमाल किया। वह आधुनिक युग का बल्लेबाज है, जो हर तरह के गेंदबाज को उसकी भाषा में जवाब दे सकता है। चाहे आप उसे बैजबाल या कोई और नाम दें।

Exclusive Interview: सवाल- जब बात मानसिक मजबूती की होती है तो क्या लगता है कि अब यशस्वी कितना तैयार हैं?

Exclusive Interview: जवाब- एक स्तर के बाद क्रिकेट मानसिक खेल ही है। अगर आप रणजी (Ranji) खेल रहे हो, भारत (India) के लिए खेल रहे हो तो आप कई मुश्किलों को पार करके यहां पहुंचे होंगे। अहम यह है कि जब आप इतने बड़े स्तर पर खेलते हो तो मानसिक मजबूती अचानक से नहीं आती है। जहां तक यशस्वी की यात्रा रही है तो मुंबई (Mumbai) के लिए खेलना ही बहुत मुश्किल है। मुंबई के क्रिकेट का जो ढांचा है उसमे आपको बचपन से ही कड़ी प्रतियोगिताएं खेलने को मिलती हैं।

यशस्वी करीब नौ साल तक मेरे साथ रहा है। हम चर्चा करते थे तो मैं उसे बताता था कि ये तरीका है जिससे तू विश्वस्तरीय खिलाड़ी बन सकता है और ये तरीका है जिससे तू असफल हो सकता है। ये तेरे ऊपर है कि तुझे क्या बनना है। मैं उसे समझाता था कि सफलता और असफलता के बीच हमें अपने काम को बेहतर कैसे करना चाहिए। इसी वजह से वह मानसिक रूप से बाकी खिलाडि़यों से अलग दिखता है।

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Exclusive Interview: सवाल- आपके पास कई बच्चे आते होंगे कि हमारे पास घर नहीं है। हमें अपने पास रख लीजिए। आपने यशस्वी में क्या देखा जो उन्हें चुना?

Exclusive Interview: जवाब- बहुत अच्छा प्रश्न है। मैं साल 1995 में गोरखपुर (Gorakhpur) से मुंबई (Mumbai) गया। आचरेकर सर (Achrekar sir) के साथ रहकर किक्रेट सीखना मेरा सपना था। मैं आचरेकर सर से मिला, उनसे सीखा। लेकिन दुर्भाग्य से मुझे चोट लग गई, तब मुझे लगा कि अब एक खिलाड़ी के तौर पर मैं आगे नहीं बढ़ पाऊंगा। साल 2000 में मेरे पिताजी का देहांत हो गया। उन्होंने मुझे एक बात कही थी कि सांप बहुत सारे होते हैं, लेकिन अजगर एक ही होता है।

लेकिन मुझे उनकी इस बात से काफी निराशा हुई और तब मैंने यह निर्णय लिया कि मैं एक खिलाड़ी तो जरूर ऐसा तैयार करूंगा जो भारत (IND) के लिए खेले। यशस्वी को मैंने साल 2013 में आजाद मैदान (Azad Ground) पर नेट्स में खेलते हुए पहली बार देखा था। तब वह बहुत छोटा था, और लोगों ने मुझे उसकी पृष्ठभूमि के बारे में बताया। फिर मैंने उसे अपने घर पर बुलाया। जब वह मेरे घर आया तो उसने बताया कि सर मुझे कोई खेलने नहीं दे रहा है।

मैं एक साल से यहां-वहां घूम रहा हूं, लेकिन मुझे कोई मैच नहीं मिलता। कुछ लोग मुझे गुमराह कर रहे हैं। उस समय जैसी स्थिति यशस्वी की थी, वैसी ही मेरी भी थी जब मैं मुंबई आया था। उसे देखकर मुझे पिताजी से किया हुआ वादा याद आया। और मुझे लगा कि यही वो लड़का है, जिसे मैं ढूंढ रहा हूं।

कुछ दिन बाद उसके पिताजी उसे लेने आए थे, जब वो मुझ से मिले तो बोले कि आज से आप ही इसके माई-बाप हो। आपको जो करना है करो, बस इसको क्रिकेटर बना दो। तब मुझे लगा कि शायद भगवान ने मुझे ये अवसर दिया है कि मैं यशस्वी से वो करवाऊं, जो मैं खुद नहीं कर पाया। आज मुझे बहुत गर्व महसूस होता है।

Exclusive Interview: सवाल- आपका अगला सपना क्या है?

Exclusive Interview: जवाब- देखिए ऐसे कई कोच हैं, जिनका कोई शिष्य भारत के लिए खेलता है तो वह आराम से बैठ जाते हैं। मैं चाहता हूं कि मैं अपना करियर खत्म करते करते भारत खेलने वाले 11 खिलाडि़यों का कोच बनूं। कई बेहतर क्रिकेटर तैयार करूं ताकि जब मैं अपना करियर खत्म करूं तो आने वाली नई पीढ़ी को लगे कि हम इससे भी बेहतर कर सकते हैं। मेरे कई शिष्य अभी मुंबई की जूनियर टीम में खेल रहे हैं, जल्दी ही वे भी ऊपर आ जाएंगे।

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Exclusive Interview: सवाल- इंग्लैंड सीरीज के बाद क्या आपकी यशस्वी से बात हुई?

जवाब- मेरी फोन पर उससे कम ही बात होती है। जब कभी उसे यह लगता है कि उसका प्रदर्शन गिर रहा है तो वह मुझे फोन करता है। मैं उसे संदेश देता हूं। हाल फिलहाल में मेरी उससे कोई बात नहीं हुई है। मैं जब मुंबई जाऊंगा तो उसका आइपीएल शुरू हो जाएगा। देखते हैं कि कब उससे मिलने का अवसर मिलता है।

Exclusive Interview: सवाल- यशस्वी को भारत का अगला सुपरस्टार के रूप में देखा जा रहा है। आपको एक कोच के रूप में कैसा लगता है?

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Exclusive Interview: जवाब- देखिये, जब हम किसी खिलाड़ी के लिए यह बोलते हैं न, कि ये अगला सचिन (Sachin) या अगला विराट (Virat) है तो ये उस खिलाड़ी का मौजूदा प्रदर्शन देखकर कहा जाता है। आप एक सीरीज में सुपरस्टार होते हो तो अगली में स्ट्रगल करते हो। उसका अगला सुपरस्टार बनना इस बात पर निर्भर करता है कि वह हर घंटे, हर दिन, हर महीने या हर साल पूरी मेहनत, लगन और ईमानदारी से प्रदर्शन करे। जिस प्रक्रिया से गुजरकर वह यहां तक आया है, अगर उसे आगे भी जारी रखेगा तो सफल होगा। अगले 10 वर्षों में उसके सामने कई चुनौतियां आएंगी, जो उसे पार करना होगा।

Exclusive Interview: सवाल- आईपीएल के बाद टी-20 विश्व कप आने वाला है। आपको लगता है कि यशस्वी को रोहित के साथ ओपनर के रूप में टीम में जगह मिलनी चाहिए?

जवाब- काफी कुछ आइपीएल पर भी निर्भर करेगा। अगर उसका फार्म आइपीएल में भी अच्छा रहता है तो उसे जरूर टी-20 विश्व कप में मौका मिलना चाहिए। आइपीएल को दो महीने हैं, 14 लीग मैच हैं। इन मैचों में वह कैसा प्रदर्शन करता है, फिटनेस कैसी रहती है। ये इस पर भी निर्भर करेगा। लेकिन आज की बात करूं तो विश्व कप (WC) में रोहित और यशस्वी ओपन कर सकते हैं।

https://youtu.be/RikDbZfT4JE

Exclusive Interview: सवाल- यशस्वी के गोल गप्पे की कहानी की बहुत बात होती है। क्या आपको लगता है कि अब इसे पीछे छोड़ देना चाहिए?

Exclusive Interview: जवाब- साल 2013 के पहले वह आजाद मैदान के पास रहता था। वहां बहुत सारे खाने के स्टाल है। जब वह खेलता नहीं था तो वहां जाकर खड़ा हो जाता था। यही सच्चाई है, वह कभी फ्रूट की दुकान पर तो कभी गोल गप्पे की स्टाल पर मदद कर देता था। जब वह मेरे पास आया तो उसने मुझे कुछ नहीं बताया। बाद में जब मीडिया में इस तरह की बातें आईं तो मैंने उससे पूछा तो बोला कि ये सब मुझे भी अच्छा नहीं लगता।

2018 में जब वह अंडर-19 टीम (U-19 Team) में चुना गया तो कुछ टीवी चैनल वाले मेरे पास आए और कहा कि हमें गोल गप्पे वाला क्लिप चाहिए। उन्होंने काफी अनुरोध किया तो मैं उसे आजाद मैदान के पास एक ठैली पर लेकर गया तो मैंने उससे कहा कि एक-दो गोलगप्पे खिला दे। लेकिन कुछ न्यूज चैनल वालों ने उसका वीडियो बना लिया।

अब ये होता है कि जब भी यशस्वी कुछ अच्छा करता है तो मीडिया ये वीडियो और फोटो दिखाते हैं और स्टोरी आती है कि वह सुबह वह पिता के साथ गोल गप्पे बेचता था और शाम को प्रैक्टिस करता था। ये बिल्कुल गलत है। जबकि उसके पिताजी केवल पांच बार ही मुंबई आए।

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